
मुख्य बातें
- उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) के तहत अब नेपाल, तिब्बत और भूटान के नागरिकों से विवाह का भी होगा पंजीकरण।
- पहले कानून में यह स्पष्ट नहीं था कि विदेशी साथी से विवाह का पंजीकरण कैसे होगा।
- नई व्यवस्था में पहचान पत्र और भारत में वैध प्रवास का प्रमाण देना अनिवार्य किया गया।
- कैबिनेट ने संशोधन प्रस्ताव को दी मंजूरी, कई सीमावर्ती परिवारों को मिलेगी राहत।
देहरादून | उत्तराखंड में 27 जनवरी 2024 को लागू हुई समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) देश में अपनी तरह की पहली व्यवस्था थी। लेकिन इसके क्रियान्वयन के बाद कई व्यावहारिक समस्याएं सामने आईं। उन्हीं में से एक प्रमुख समस्या थी — सीमावर्ती देशों के नागरिकों से विवाह का पंजीकरण कैसे हो? राज्य के कई इलाकों — जैसे धारचूला, मुनस्यारी, बागेश्वर और पिथौरागढ़ — में नेपाल, भूटान और तिब्बत मूल के नागरिकों से विवाह के मामले आम हैं।
मगर चूंकि यूसीसी केवल उत्तराखंड के स्थायी निवासियों पर लागू थी, इसलिए इन अंतरराष्ट्रीय विवाहों का पंजीकरण संभव नहीं हो पा रहा था। राज्य मंत्रिमंडल ने सोमवार को यूसीसी नियमावली में संशोधन को मंजूरी दे दी। अब यदि किसी उत्तराखंड मूल के व्यक्ति या महिला का जीवनसाथी नेपाल, भूटान या तिब्बत का नागरिक है, तो वे भी विवाह का पंजीकरण करा सकेंगे — बशर्ते वे वैध पहचान और प्रवास दस्तावेज प्रस्तुत करें।
अब आवश्यक होंगे ये दस्तावेज:
- नेपाल व भूटान के नागरिकों के लिए —
- स्थानीय प्रशासन या मिशन द्वारा जारी नागरिकता प्रमाणपत्र।
- भारत में कम से कम 180 दिन (6 माह) का प्रवास प्रमाणपत्र।
- नेपाली नागरिक के लिए भारत में नेपाली मिशन द्वारा जारी प्रमाण,
और भूटानी नागरिक के लिए रॉयल भूटानी मिशन की ओर से जारी दस्तावेज।
- तिब्बती मूल के व्यक्तियों के लिए —
- विदेशी पंजीकरण अधिकारी (Foreigners Registration Officer) की ओर से जारी वैध पंजीकरण प्रमाणपत्र।
- उत्तराखंड मूल के साथी के लिए —
- राज्य का वैध आधार कार्ड या निवास प्रमाण पत्र।
समस्या का समाधान
यूसीसी के तहत विवाह पंजीकरण के लिए अब तक यह अनिवार्य था कि दोनों पक्षों के पास उत्तराखंड का वैध आधार कार्ड हो। यही कारण था कि अंतरराष्ट्रीय विवाहों के पंजीकरण लंबित थे। कैबिनेट के इस संशोधन के बाद अब सीमावर्ती जिलों के सैकड़ों दंपतियों को राहत मिलेगी।
यूसीसी लागू होने के बाद राज्य सरकार ने इसके सुचारु क्रियान्वयन के लिए एक हाई पावर कमेटी गठित की थी। यह समिति समय-समय पर तकनीकी या कानूनी अड़चनों की समीक्षा कर संशोधन प्रस्ताव तैयार करती है। अब तक विवाह, उत्तराधिकार, तलाक और संपत्ति अधिकारों से जुड़े कई प्रावधानों में सुधार किए जा चुके हैं। सरकार का कहना है कि यूसीसी को व्यवहारिक बनाना ही मुख्य लक्ष्य है। सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले नागरिकों के लिए यह संशोधन एक “मानवीय और व्यावहारिक कदम” है।
अब ऐसी शादियों को भी विधिक मान्यता मिल सकेगी जो सांस्कृतिक रूप से लंबे समय से मान्य रही हैं। यूसीसी में यह संशोधन न केवल सीमावर्ती समुदायों की सामाजिक वास्तविकताओं को स्वीकार करता है, बल्कि राज्य की इस महत्वाकांक्षी व्यवस्था को अधिक समावेशी और संवेदनशील बनाता है। नेपाल, भूटान और तिब्बत से वैवाहिक संबंध रखने वाले परिवारों के लिए यह फैसला निस्संदेह एक बड़ी राहत है।